ब्रिटेन की जेल में बंद विकीलीक्स के फाउंडर जूलियन असांजे को कोर्ट ने बुधवार को जमानत देने से इनकार कर दिया। एक दिन पहले ही कोर्ट ने असांजे को अमेरिका को सौंपे जाने की अपील खारिज कर दी थी। इस पर अमेरिका ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की बात कही थी। उसने मांग की थी कि मामले की सुनवाई चलने तक असांजे को हिरासत में भेज दिया जाए।
49 साल के असांजे ऑस्ट्रेलिया के नागरिक हैं। वह लंदन की बेल्मार्श जेल में चार साल से ज्यादा वक्त से बंद हैं। उन्हें जमानत की शर्तें न मानने पर दोषी करार दिया गया था। असांजे को 2010 में स्वीडन की अपील पर लंदन में गिरफ्तार किया गया था। उन पर स्वीडन की दो महिलाओं ने रेप का आरोप लगाया था।
इक्वाडोर के दूतावास में शरण ली
स्वीडन भेजे जाने से बचने के लिए असांजे ने 2012 में लंदन में इक्वाडोर के दूतावास में शरण ली थी। इस तरह वे गिरफ्तारी से बच गए। बाद में इक्वाडोर की सरकार ने उन्हें शरण देने से इनकार कर दिया था। इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय समझौतों का लगातार उल्लंघन करना बताया गया था।
2019 में दूतावास से बाहर आने पर ब्रिटेन की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। स्वीडन ने नवंबर 2019 में रेप के आरोप वापस ले लिए। इसके बावजूद असांजे जेल में ही रहे।
अमेरिका के लिए वॉन्टेड हैं असांजे
असांजे ने विकीलीक्स की वेबसाइट पर मिलिट्री और डिप्लोमेटिक डॉक्युमेंट सार्वजनिक किए थे। इसके जरिए उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड और नाटो की सेनाओं पर इराक में युद्ध अपराध का आरोप लगाया था। असांजे पर यह भी आरोप है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रूसी खुफिया एजेंसियों ने हिलेरी क्लिंटन के कैम्पेन से जुड़े ईमेल हैक कर उन्हें विकीलीक्स को दिए थे।
अप्रैल 2019 में अमेरिका ने उन पर हैकिंग की साजिश रचने का आरोप लगाया था। इसमें दोषी साबित होने पर उन्हें पांच साल तक की सजा होगी। अगर असांजे पर लगे सभी आरोपों में उन्हें दोषी पाया जाता है, तो 175 साल तक की सजा हो सकती है।
वकील की दलील- राजनीति के कारण आरोप लगाए
अमेरिका का आरोप है कि असांजे ने आर्मी इंटेलीजेंस एनालिस्ट रहीं चेल्सिया मैनिंग से सीक्रेट डॉक्युमेंट हासिल किए थे। हजारों पन्नों के इन डॉक्युमेंट्स में इराक युद्ध के अलावा विवादित ग्वांतानामो बे जेल में बंद कैदियों से जुड़ी जानकारियां शामिल थी।
असांजे के वकील और सपोर्टर्स हमेशा से कहते आए हैं कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति की वजह से लगाए गए हैं। अगर उन्हें इसके लिए सजा होती है, तो अमेरिका और ब्रिटेन दोनों देशों में प्रेस की आजादी पर असर पड़ेगा।
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